रामटेक – राजु कापसे
अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के मंदिर का भव्य उद्घाटन होगा। उसी दिन मंदिर में भगवान श्रीराम की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की जाएगी। इस अवसर पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। रामटेक नगरी की पहचान भगवान श्रीराम से है। ऐसे में इस नगर में भव्य कार्यक्रम न हो, यह कैसे हो सकता है।
इसी बात को ध्यान में रखकर मातोश्री काशीदेवी बहु. शिक्षण संस्था, वाहीटोला ( परसोडा ), रामटेक के व्यवस्थापन मंडल ने 24 दिसंबर 2023 को एक प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि अयोध्या के मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति प्रतिष्ठापित करने के दिन रामटेक में भी भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
इसके लिए महाराष्ट्र शासन के कला, सांस्कृतिक एवं पर्यटन विभाग के माध्यम एवं विधायक निधि से 25 लाख रुपये की निधि मंजूर की जाए। कॉंग्रेस नेता तथा संस्था के सचिव उदयसिंग उर्फ गज्जू यादव ने पारित प्रस्ताव की प्रति के साथ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विधायक एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले एवं जिलाधिकारी को निवेदन-पत्र भेजा था।
विधायक बावनकुले ने भी संस्था के निवेदन का संदर्भ देकर जिलाधिकारी से कहा था कि वे उक्त प्रस्तावित समारोह के संबंध में अपने कार्यालय के दालान में सभी संबंधित अधिकारियों एवं संस्था के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक का आयोजन कर सहयोग करें।
आज यह स्थिति है कि जिस संस्था ने भव्य समारोह के आयोजन की पहल की, उसी के पदाधिकारियों से राजनैतिक द्वेष के चलते उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया जा रहा है। अयोध्या के मंदिर में भगवान श्रीराम की प्रतिमा की प्रतिष्ठापना के दिन रामटेक में भी भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है, लेकिन इसके आयोजन से मातोश्री काशीदेवी बहु. शिक्षण संस्था को नहीं जोड़ा गया है। इस पर संस्था के सचिव एवं रामटेक विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेता उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव ने आपत्ति जताई है।
यादव ने कहा, ‘रामटेक मे होने जा रहे कार्यक्रम की संकल्पना मेरी है। कार्यक्रम भगवान श्रीराम का है । इस धार्मिक तथा सार्वजनिक कार्यक्रम को लेकर जिलाधिकारी, तहसीलदार जैसे अधिकारियों ने भेदभावपूर्ण रवैया दिखाया है। इस कार्यक्रम के आयोजन संबंधि बैठक मे सभी पक्ष के लोगों को बुलाया जाना चाहिए था, जिसमे वे तो सर्वप्रथम पत्र लिखकर जिलाधिकारी की जानकारी मे थे।
रामटेक की जनता इस बात को सदा याद रखेगी। यह एक सार्वजनिक कार्यक्रम है, जिसके लिए सरकार निधि दे रही है। इसमें सभी दलों को निस्वार्थ रूप से शामिल करना चाहिए। इसके बावजूद अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। इसलिये अब इस कार्यक्रम के लिये सरकार से मंजूर राशि किस तरह से खर्च की गयी, कलाकारों को दिया जाने वाला कार्यक्रम का मानधन किस प्रक्रिया से निश्चित किया गया। यह जानकारी भी जिलाधिकारी से मांगी जायेगी। सरकारें बदलती रहती हैं, सरकार लिये नहीं, विशिष्ट व्यक्तियों के लिये काम करने वाले अधिकारीयों ने यह बात याद रखनी चाहिए।